COP30: दुनिया अब जलवायु कार्रवाई की ओर बढ़ी, सिर्फ बातचीत नहीं, पेरिस समझौते को मिली नई रफ्तार
मुख्य बिंदु (Bullet Points)
- COP30 ने बातचीत से आगे बढ़कर वैश्विक जलवायु कार्रवाई की दिशा तय की।
- जीवाश्म ईंधन पर सहमति नहीं, पर बहस पहले से ज्यादा मजबूत हुई।
- अनुकूलन फंड तीन गुना करने और तकनीकी सहयोग पर अहम फैसले बने।
- भारत को NAP, वित्त और व्यापार मुद्दों पर महत्वपूर्ण बढ़त मिली।
पेरिस समझौते के बाद यह समय दुनिया के लिए सबसे नाजुक माना जा रहा है। भू-राजनीतिक तनाव, ऊर्जा को लेकर बहस और अमीर–ग़रीब देशों के बीच अविश्वास होने के बावजूद, ब्राज़ील के शहर बेलें में हुआ COP30 कई अहम फैसलों के साथ समाप्त हुआ। इसने वैश्विक जलवायु प्रयासों को टूटा नहीं, बल्कि आगे बढ़ाया।
अमेज़न के किनारे पहली बार COP—ब्राज़ील ने बदली चर्चा की दिशा
अमेज़न वर्षावन के पास आयोजित यह पहला COP था। ब्राज़ील ने यहां विकसित (अमीर) और विकासशील (गरीब) देशों के बीच पुल बनाने की कोशिश की। सम्मेलन में बड़े ब्रेकथ्रू तो नहीं हुए, लेकिन भविष्य की जलवायु राजनीति के लिए कई नए रास्ते बनाए गए।
जीवाश्म ईंधन पर सख्त सहमति नहीं, लेकिन बहस तेज़
ब्राज़ील ने पहली बार जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल, गैस) को खत्म करने पर खुलकर बहस करवाई।
• 80 से ज्यादा देशों ने समर्थन किया
• लगभग उतने ही देशों ने विरोध किया
सहमति नहीं बन पाई, लेकिन बहस को खत्म भी नहीं होने दिया गया। ब्राज़ील ने दो स्वैच्छिक रोडमैप पेश किए—
• न्याय और समानता के आधार पर जीवाश्म-मुक्त अर्थव्यवस्था की योजना
• वनों को बचाने के लिए "फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट" रोडमैप
इनका आधिकारिक दस्तावेज में ज़िक्र तो नहीं, लेकिन दुनिया को संकेत दिया गया कि अब बहस असली फैसलों की ओर बढ़ रही है।
पेरिस समझौता हुआ और मजबूत—अब दुनिया क्रियान्वयन मोड में
COP30 ने कई क्षेत्रों में पेरिस समझौते को आगे बढ़ाया—
• उत्सर्जन तेजी से घटाने
• अनुकूलन (Adaptation) बढ़ाने
• तकनीक और क्षमता निर्माण
• जलवायु वित्त को आसान बनाने
साथ ही महिलाओं, आदिवासियों, स्थानीय समुदायों जैसे समूहों के योगदान को भी मान्यता दी गई।
‘ग्लोबल मुतीराओ’—दुनिया का सामूहिक जलवायु अभियान
करीब 200 देशों ने “ग्लोबल मुतीराओ” को मंजूरी दी। इसका मतलब—
अब दुनिया बातचीत नहीं, बल्कि मिलकर काम करने के चरण में प्रवेश कर गई है।
ग्लोबल मुतीराओ (Global Mutirão) एक नया वैश्विक अवधारणा है जिसे COP30 में लगभग 200 देशों ने मिलकर अपनाया। यह मूल रूप से सामूहिक जलवायु प्रयास का प्रतीक है।
आसान शब्दों में
ग्लोबल मुतीराओ मतलब—पूरी दुनिया का एक साथ मिलकर जलवायु बदलाव से लड़ने का अभियान।
यह सिर्फ बातचीत नहीं, बल्कि धरातल पर वास्तविक कार्रवाई करने की अपील है।
‘मुतीराओ’ शब्द का मतलब
यह ब्राज़ील के पुर्तगाली शब्द Mutirão से लिया गया है, जिसका अर्थ है—
समुदाय का मिलकर किसी बड़े काम को पूरा करना, जैसे गांव में लोग मिलकर घर बनाएं, सफाई करें या खेती में मदद करें।
COP30 में इसका मतलब
• दुनिया को मिलकर प्रदूषण कम करना
• जलवायु वित्त बढ़ाना
• अनुकूलन की तैयारी करना
• तकनीक साझा करना
• गरीब और संवेदनशील देशों की मदद करना
यानी—जलवायु संकट से निपटने के लिए “पृथ्वी के लिए सामूहिक मेहनत” का वैश्विक वादा।
तेज़ कार्रवाई के लिए नया जलवायु टूलकिट
COP30 में कई नए व्यावहारिक औज़ार लाए गए—
• ग्लोबल इम्प्लीमेंटेशन एक्सेलरेटर (मीथेन कटौती, नवीकरणीय ऊर्जा, बैटरी स्टोरेज)
• 2035 तक अनुकूलन फंड को तीन गुना करना
• “बेलें मेकेनिज़्म”—समानता आधारित आर्थिक बदलाव
• शहरों व राज्यों को जलवायु कार्रवाई के मुख्य भागीदार मानना
• तकनीक लागू करने का TIP कार्यक्रम
• जेंडर और क्लाइमेट एक्शन प्लान
ये सब दिखाते हैं कि अब लक्ष्य नहीं, कार्रवाई की मशीनरी बनाई जा रही है।
अमेज़न की आवाज़—सबसे बड़ी आदिवासी भागीदारी
इस बार COP में 5,000 से ज्यादा आदिवासी प्रतिनिधि आए—इतिहास में सबसे ज्यादा।
ब्राज़ील ने उन्हें मुख्य वार्ताओं में शामिल किया, उनके लिए पहला पीपल्स समिट और विशेष पैविलियन बनाया।
संदेश साफ़:
जंगलों को सुरक्षित रखने के लिए उनके रक्षकों को अधिकार और सुरक्षा देना जरूरी है।
क्या COP30 जलवायु दिशा बदल पाएगा?
जीवाश्म ईंधन को लेकर सख्त फैसला नहीं हो पाया। इससे 1.5°C लक्ष्य पर बहुत बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा।
लेकिन COP30 ने एक जरूरी काम किया—
समझौते को टूटने से बचाया और दुनिया को क्रियान्वयन के रास्ते पर रखा।
भारत के लिए COP30 के मायने
1. ग्लोबल साउथ की आवाज़ मजबूत हुई
भारत ने “समानता” और “कॉमन बट डिफरेंशिएटेड रिस्पांसिबिलिटी” पर अपना रुख मजबूती से रखा।
2. अनुकूलन फंड तीन गुना होना—भारत की बड़ी जीत
भारत जैसे देश, जहां गर्मी, सूखा और अनियमित बारिश बढ़ रही है, इसका सबसे ज्यादा लाभ उठाएंगे।
3. भारत ने पहली बार राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (NAP) पेश की
इससे भारत को वैश्विक अनुकूलन फंड में और मदद मिलेगी।
4. घरेलू कार्बन मार्केट को बढ़ावा
अंतरराष्ट्रीय चर्चा से भारत के Carbon Credit Trading Scheme को मजबूती मिलेगी।
5. जीवाश्म ईंधन पर भारत का संतुलित रुख
भारत ने अंतिम दस्तावेज़ का समर्थन किया, लेकिन अपने विकास हितों को प्राथमिकता दी।
6. व्यापार से जुड़े जलवायु मुद्दों पर भारत की जीत
कार्बन बॉर्डर टैक्स जैसे मुद्दे अब UNFCCC में चर्चा का हिस्सा होंगे।
भारत और Skymet के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण?
भारत के लिए जलवायु सिर्फ कूटनीति नहीं—सीधी खतरे की बात है:
तेज़ गर्मी, बाढ़, सूखा और बदलते मानसून।
Skymet की भूमिका अब और अहम है—
• सटीक मौसम पूर्वानुमान
• प्रभाव आधारित चेतावनियाँ
• क्लाइमेट रिस्क विश्लेषण
COP30 में मिले नए टूल्स—डेटा, फंडिंग, तकनीक—भारत की तैयारी को मजबूत करेंगे।
नया दौर—वक्त बहुत कम
COP30 का सार यही है—वादों का नहीं, कार्रवाई का समय आ गया है।
बेलें ने दुनिया को एकजुट होकर काम करने का संदेश दिया—एक “वैश्विक मुतीराओ”।
रास्ते तैयार हैं। औज़ार बन चुके हैं।
अब असली फर्क तभी पड़ेगा जब कार्रवाई होगी—और जल्दी होगी।








