जापान में 7.5 भूकंप के बाद ‘मेगाक्वेक एडवाइजरी’ जारी, क्या भारत पर कोई असर पड़ेगा?
मुख्य बिंदु
- जापान में 7.5 भूकंप के बाद पहली बार “मेगाक्वेक एडवाइजरी” जारी।
- 60–70 सेमी सुनामी, 30+ घायल और 90,000 से अधिक लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुँचे।
- विशेषज्ञों के अनुसार अगले 7 दिनों तक बड़े भूकंप की थोड़ी संभावना।
- भारत पर किसी भी भूकंप या सुनामी का खतरा नहीं।
जापान में देर रात 7.5 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिसके बाद पहली बार “मेगाक्वेक एडवाइजरी” जारी की है। यह भूकंप जापान के आओमोरी क्षेत्र के प्रशांत तट के पास लगभग 54 किमी की गहराई में आया। भूकंप से सड़कों में दरारें पड़ीं, कई इमारतों को नुकसान हुआ, 60–70 सेंटीमीटर ऊंची छोटी सुनामी देखी गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए। इस भूकंप के बाद अब तक लगभग 90,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है। हालाँकि नुकसान सीमित रहा, लेकिन भूकंप झटके टोक्यो तक महसूस किए गए, जो लगभग 550 किमी दूर है। वैज्ञानिकों में चिंता इसलिए बढ़ी क्योंकि भूकंप का केंद्र जापान और कुरिल ट्रेंच के पास था, जो दुनिया के सबसे खतरनाक सबडक्शन जोनों में से एक है।
एडवाइजरी क्यों जारी की गई, नियम क्या कहते हैं?
2022 में बनाए गए नए नियमों के अनुसार जापान मौसम विभाग तब “मेगाक्वेक एडवाइजरी” जारी करता है जब 7 या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप उन क्षेत्रों में आता है जहाँ पहले भी विशाल भूकंप हो चुके हैं। इस बार पहली बार यह अलर्ट होक्काइडो–सानरिकु क्षेत्र के लिए जारी किया गया। इसका मतलब यह है कि अगले एक सप्ताह तक 8 या उससे अधिक तीव्रता वाले बड़े भूकंप की संभावना सामान्य से थोड़ी ज्यादा लगभग 1% हो सकती है। हालाँकि यह संभावना कम है, फिर भी सरकार चाहती है कि लोग सावधान रहें, अपनी निकासी योजनाएँ अपडेट करें और जरूरी सामान तैयार रखें। यह एडवाइजरी कोई “भविष्यवाणी” नहीं है, बल्कि सिर्फ एहतियात है, क्योंकि कई बार बड़े मेगाथ्रस्ट भूकंप से पहले छोटे-छोटे तेज झटके आते हैं। 2011 का विनाशकारी 9.0 तीव्रता वाला तोहोकू भूकंप, उससे दो दिन पहले आए 7.3 तीव्रता के झटके के बाद ही आया था। यह दोनों भूकंप जापान ट्रेंच के उसी हिस्से में आए थे।
जापान की टेक्टॉनिक कमजोरी, इतना खतरा क्यों है?
जापान का उत्तरी हिस्सा खास तौर पर ज्यादा खतरे में रहता है क्योंकि यहाँ पैसिफिक प्लेट, नॉर्थ अमेरिकन और ओखोत्स्क प्लेटों के नीचे धंस रही है। इससे बहुत ज्यादा दबाव जमा होता रहता है, जो कभी-कभी अत्यंत शक्तिशाली मेगाथ्रस्ट भूकंपों के रूप में फटकर निकलता है। सरकार की आशंकाओं के अनुसार, अगर होक्काइडो–सानरिकु के पास समुद्र में एक बड़ा भूकंप आता है, तो 30 मीटर (98 फीट) ऊँची सुनामी उठ सकती है, जिसमें लगभग 1,99,000 लोगों की जान जा सकती है और दो लाख से ज्यादा इमारतें नष्ट हो सकती हैं और करीब 31 ट्रिलियन येन का आर्थिक नुकसान हो सकता है। अगर ऐसा भूकंप सर्दियों में आया, तो हजारों लोग ठंड से बच नहीं पाएंगे। वर्तमान एडवाइजरी होक्काइडो से लेकर चीबा तक 182 शहरों और कस्बों में लागू की गई है, यह हाल के वर्षों में जापान द्वारा जारी किए सबसे बड़े भौगोलिक अलर्ट्स में से एक है।
क्या भारत को चिंता करनी चाहिए?
भले ही खबरें डरावनी लगें, लेकिन भारत के लिए इसका सीधा प्रभाव बहुत सीमित है। अगर जापान के पास मेगाक्वेक आता है, तो उसका प्रभाव मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र जापान, रूस का फॉर ईस्ट हिस्सा और अलास्का तक ही सीमित रहेगा। जापान ट्रेंच में आने वाले भूकंपों से बनने वाली सुनामी की दिशा ज़्यादातर प्रशांत महासागर के भीतर ही रहती है। भारत की तटीय रेखा को सबसे बड़ा खतरा इंडोनेशिया के सुमात्रा के पास स्थित सुंडा ट्रेंच से आने वाले भूकंपों से रहता है। भारत की सबसे विनाशकारी सुनामी 2004 में आई थी, जो सुमात्रा के पास आए 9.1 तीव्रता वाले भूकंप के कारण हुई थी-जापान क्षेत्र के किसी भूकंप के कारण नहीं।
भारत के लिए अभी कोई खतरा नहीं
जापान की यह एडवाइजरी यह बताती है कि सबडक्शन ज़ोन वाली पृथ्वी पर ऐसे बड़े खतरे हमेशा मौजूद रहते हैं, और मजबूत चेतावनी प्रणाली बहुत जरूरी है। लेकिन इसका भारत पर कोई अतिरिक्त भूकंप या सुनामी खतरा इस समय नहीं बनता। अगले कुछ दिनों में भारत के लिए किसी भी तरह के बढ़े हुए जोखिम का कोई संकेत नहीं है।








