

पूर्वोत्तर भारत मानसून के मौसम में सबसे अधिक बारिश वाले क्षेत्रों में शामिल है। इस सप्ताह एक बड़ा और भारी बारिश का दौर इस क्षेत्र में आने की संभावना है। विशेषकर आने वाला सप्ताहांत पहाड़ी राज्यों के बड़े हिस्सों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। खराब मौसम की स्थिति से संचार और आवागमन में बाधा आ सकती है।
झारखंड पर बने निम्न दबाव का असर पूर्वोत्तर तक
हालांकि झारखंड और आसपास के क्षेत्रों पर बना निम्न दबाव अब कमजोर पड़ गया है, लेकिन इससे जुड़ा हुआ मजबूत चक्रवाती परिसंचरण ऊपरी स्तरों तक सक्रिय है। यही प्रणाली इस सप्ताह पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में भारी मौसम गतिविधियों को जन्म देगी। सबसे खराब स्थिति सप्ताहांत में मेघालय, दक्षिण-पूर्व असम, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम के इलाकों में देखने को मिल सकती है।
जून में हुई बारिश की कमी, जुलाई से उम्मीदें
पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्यों में जून महीने में औसत से कम वर्षा हुई है। अरुणाचल प्रदेश और असम में 35-40% तक की भारी कमी दर्ज की गई। नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा जैसे उत्तर-दक्षिण फैले राज्यों की स्थिति थोड़ी बेहतर रही। जुलाई इस क्षेत्र का सबसे अधिक वर्षा वाला महीना होता है, लेकिन यदि इस माह में भी पर्याप्त वर्षा नहीं होती तो आगे चलकर वर्षा की भरपाई करना मुश्किल हो जाता है।
चक्रवाती परिसंचरण बदलेगा हवा की दिशा, बढ़ेगा खतरा
झारखंड क्षेत्र में सक्रिय चक्रवाती परिसंचरण और उसका पश्चिम की ओर खिसकना, पूर्वोत्तर भारत की हवा की दिशा को प्रभावित करेगा। घाटी क्षेत्र में चलने वाली पूर्वी हवाएं, जो सामान्य और शांत मौसम का संकेत देती हैं, उनकी जगह अब बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी युक्त और गर्म दक्षिण-पश्चिमी हवाएं ले लेंगी। ये हवाएं बांग्लादेश होते हुए पूर्वोत्तर के पहाड़ी और जटिल भौगोलिक इलाकों में तेज़ी से फैलेंगी, जिससे भारी बारिश की संभावना बढ़ेगी। यहां की विविध भूमि-संरचना पहाड़, जंगल, घाटियां और घने वन मौसम की जटिलता को और बढ़ा देती है।
05-07 जुलाई के बीच सबसे खराब हालात
मौसम की गतिविधियाँ आज से ही शुरू हो जाएंगी और 3 व 4 जुलाई तक पूरे क्षेत्र में फैल जाएंगी। शाम और रात के समय तेज बारिश और गरज-चमक के साथ व्यापक मौसमी हलचल की संभावना है। 5 से 7 जुलाई के बीच मेघालय, दक्षिण-पूर्व असम, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम के लिए स्थिति और गंभीर हो जाएगी। इस दौरान भारी बारिश, बिजली गिरने, गरज के साथ आँधी और तेज हवाओं की आशंका है। यह स्थिति भूस्खलन का कारण बन सकती है, जिससे संचार और यातायात प्रभावित होगा। क्षेत्र की नदियों और जल निकायों में पानी का स्तर बढ़ सकता है और बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं। संबंधित एजेंसियों को सतर्कता बरतने और आपात स्थिति की तैयारी करने की आवश्यकता है।