

पूर्वानुमान के अनुरूप, टाइफून WIPHA जो एक बड़ा तूफान था, उसका असर (अवशेष) खत्म होने के बाद वह धीरे-धीरे पूर्वी एशियाई देशों से होते हुए बंगाल की खाड़ी में पहुंचा। वहां यह एक मजबूत मानसूनी सिस्टम बन गया और फिर भारत के पूर्वी और मध्य हिस्सों में बारिश कराता हुआ उत्तर मध्य प्रदेश और पूर्वी राजस्थान तक आ गया। अब यह सिस्टम धीरे-धीरे कमजोर हो गया है और अगले 2 से 3 दिनों में पूरी तरह खत्म हो जाएगा, जब यह उत्तराखंड की पहाड़ियों तक पहुंचेगा।
29 से 31 अगस्त तक भारी बारिश की संभावना
यह मौसमी प्रणाली और इसके आगे बने संवर्तन क्षेत्र (zone of convergence) के कारण पश्चिम मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में 29 से 31 अगस्त 2025 के बीच भारी वर्षा संभव है। इसके बाद यह प्रणाली हिमालय की तलहटी की ओर मुड़ जाएगी और वहीं मिलकर अपनी पहचान खो देगी। मानसून ट्रफ भी इसके साथ खींची जाएगी और हिमालय की तलहटी के करीब खिसक जाएगी, जो पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, नेपाल सीमा, बिहार, सिक्किम, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और असम-मेघालय तक फैलेगी।
क्या है ब्रेक-इन-मानसून (Break-in-Monsoon)?
‘ब्रेक-इन-मॉनसून’ का अर्थ होता है कि मानसून ट्रफ पूरी तरह हिमालय की तलहटी की ओर खिसक जाती है। कई बार तो ट्रफ को स्थिति में पहचाना ही नहीं जा सकता। इस दौरान भारी बारिश की पट्टी भी तलहटी के साथ-साथ खिसक जाती है, और कभी-कभी आस-पास के मैदानी क्षेत्रों में भी फैल जाती है। एक विशेषता यह है कि बारिश पूरा क्षेत्र एक साथ कवर नहीं करती हैं, बल्कि 300–400 किलोमीटर की लंबाई में अलग-अलग स्ट्रिप्स बनती हैं, जिनके बीच बड़े अंतराल रहते हैं। हालांकि सिक्किम, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय में यह अंतराल बहुत कम होता है, यहां लगातार बारिश होती रहती है।
देश के अन्य हिस्सों में मानसून की सुस्ती और बाढ़ का खतरा
ब्रेक-मानसून की स्थिति में देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून की सक्रियता कम हो जाती है। केवल तमिलनाडु और तटीय आंध्र प्रदेश में कभी-कभी बिखरी हुई बारिश होती है। पश्चिमी तट लगभग शांत रहता है। बिहार की तलहटी और आसपास के मैदानी इलाके में इस दौरान भारी वर्षा होती है। नेपाल और तिब्बत से निकलने वाली नदियों के कारण बिहार में बाढ़ का खतरा बहुत बढ़ जाता है। यह बारिश इस समय लाभ से ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। इसी तरह, उत्तर-पूर्व भारत में भी ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
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ब्रेक के बाद फिर से सक्रिय होगा मानसून
मानसून की सामान्य स्थिति तभी फिर से लौटती है, जब बंगाल की खाड़ी में नई मौसमी प्रणाली बनती है। इस नई प्रणाली के बनने से मानसून ट्रफ का पूर्वी सिरा फिर दक्षिण की ओर खिसकता है। इसके बाद यह प्रणाली देश के अंदर तक यात्रा करती है और मानसून की स्थिति को सामान्य करती है। अगर ब्रेक लंबा चलता है, तो यह मानसून की गति को गंभीर रूप से बाधित कर सकता है, जिससे कुछ हिस्सों में सूखे जैसी स्थिति बन सकती है। लेकिन आमतौर पर ब्रेक के बाद मानसून पूरे देश में फिर से सक्रिय हो जाता है।