अक्टूबर महीने में मध्य और पूर्वी भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के लंबा खिंचने और दो चक्रवात—शक्ति और मोथा के चलते पूरे देश में बारिश सामान्य से काफी अधिक रही। देश के चारों मौसम क्षेत्रों ने सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की। उत्तर-पश्चिम भारत में तो 161% अतिरिक्त बारिश दर्ज हुई। वहीं, दक्षिण प्रायद्वीप में भी उत्तर-पूर्व मानसून ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 40% अधिक वर्षा दी है।
नवंबर के दूसरे सप्ताह में बारिश का बड़ा संकट
अक्टूबर में भरपूर बारिश के बाद, नवंबर में दक्षिण भारत में वर्षा एकदम कम हो गई। 06 से 12 नवंबर 2025 के बीच देश में 78% कम बारिश दर्ज की गई, जो एक बड़ी गिरावट है। अक्टूबर में बेहतर प्रदर्शन करने वाले चारों क्षेत्र नवंबर में सबसे निचले स्तर पर पहुँच गए। दक्षिण प्रायद्वीप में बारिश का 71% की भारी कमी देखी गई। लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार सहित सभी 10 उप-मंडलों में सूखे जैसी स्थिति रही। तमिलनाडु, जो नवंबर में सबसे अधिक बारिश वाला राज्य माना जाता है, ने 67% कम बारिश दर्ज की। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना में भी 70% से अधिक की कमी देखी गई।
अक्टूबर की बढ़त अब घटकर रह गई मामूली
अक्टूबर में दक्षिण भारत में मिली 40% अधिशेष वर्षा अब नवंबर में घटकर केवल 14% रह गई है। यानि इस अतिरिक्त बारिश का बड़ा हिस्सा नवंबर के शुरुआती सूखे में खप गया। यह स्थिति तमिलनाडु के लिए चिंता पैदा कर सकती है, क्योंकि राज्य अपनी 35% वार्षिक वर्षा अक्टूबर–नवंबर में प्राप्त करता है।
आने वाले दिनों में खाड़ी में नया सिस्टम
अगले 10 दिनों में बंगाल की खाड़ी में नए मौसम तंत्र विकसित होने की संभावना है। 20 नवंबर 2025 के आसपास कम दबाव क्षेत्र बनने की भी उम्मीद है। इस दौरान दक्षिण भारत में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होगी। तमिलनाडु, खासकर तटीय इलाकों, में अच्छी बारिश होने के संकेत हैं। चेन्नई में 16 से 18 नवंबर 2025 के बीच मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है।
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