

जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भारी से बहुत भारी बारिश का सिलसिला जारी है। निचले और मध्यम पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार तीसरे दिन बारिश ने तबाही मचाई हुई है। जम्मू, उदमपुर, कटरा, कठुआ, भद्रवाह और बटोटे में मूसलाधार बारिश दर्ज की गई। बीते 24 घंटों में जम्मू में 81 मिमी और भद्रवाह में 100 मिमी बारिश हुई है। हिमाचल के धर्मशाला, डलहौज़ी, कांगड़ा, कुल्लू, मनाली और मंडी में भी झमाझम बारिश हुई। वहीं, धर्मशाला और मनाली में अकेले 24 घंटों में 100 मिमी से ज़्यादा बारिश दर्ज की गई है।
बारिश के पीछे मौसम तंत्र
उत्तर राजस्थान और पंजाब-हरियाणा की तराई पर एक चक्रवाती परिसंचरण सक्रिय है। इसके अलावा पहाड़ों पर पश्चिमी विक्षोभ गुजर रहा है। दोनों तंत्रों की आपसी क्रिया और उत्तर भारत में सक्रिय मानसून ट्रफ ने बारिश को और तेज़ कर दिया है। लगातार बारिश से नदियाँ और झीलें उफान पर हैं। जम्मू-कश्मीर की नदियाँ और मैदानों के बांध/जलाशय भर चुके हैं। रंजीत सागर और भाखड़ा नांगल डैम से 2007 के बाद पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में अतिरिक्त पानी छोड़ा गया है, जिससे नीचे बसे शहरों और गांवों को खतरा बढ़ गया है।
अगले 24 घंटे में आंशिक राहत
अगले 24 घंटों में पश्चिमी विक्षोभ के हटने से बारिश में थोड़ी राहत मिल सकती है। लेकिन पहाड़ी इलाकों की नदियाँ और झीलें बारिश कम होने के बाद भी उफन सकती हैं। राहत ज्यादा लंबे समय तक टिकने वाली नहीं है, क्योंकि बंगाल की खाड़ी में एक नया निम्न दबाव क्षेत्र बन रहा है। यह 48 घंटों में तेज़ होकर तटीय ओडिशा की ओर बढ़ेगा।
फिर बढ़ेगा मौसम का खतरा
पूर्वी हवाएँ इंडो-गंगा के मैदानों में मजबूत होंगी और मानसून ट्रफ फिर से सक्रिय हो जाएगा। इसी दौरान एक और पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ों की ओर बढ़ेगा। इन सभी तंत्रों के मिलन से मौसम फिर बिगड़ेगा। सबसे पहले जम्मू संभाग और हिमाचल प्रदेश पर असर पड़ेगा। अगस्त के अंतिम दिनों और सितंबर की शुरुआत में उत्तराखंड में भी तेज़ और खतरनाक बारिश का खतरा रहेगा। 3 सितंबर तक राज्य के अधिकांश हिस्सों में खराब मौसम से नुकसान की आशंका है।
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