

पिछले 3-4 दिनों से दक्षिण-पश्चिम मानसून की रफ्तार धीमी हो गई है। देशभर में बारिश में भारी कमी दर्ज की गई है। 9 सितम्बर को पूरे भारत में औसतन 4.2 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य 6.1 मिमी रहती है। 10 सितम्बर को यह और घटकर सिर्फ 2.3 मिमी रह गई, जबकि सामान्य 6.0 मिमी है। इस दौरान मौसमी वर्षा का प्रतिशत भी घटकर 109% से 108% (107.8%) पर आ गया। अगले 24 घंटों में भी सामान्य से कम बारिश होगी, लेकिन उसके बाद सुधार देखने को मिलेगा।
बंगाल की खाड़ी से नया सिस्टम बनेगा
पहले उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी पर एक चक्रवाती परिसंचरण था, जो अब ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटीय हिस्सों में पहुँच गया है। अगले 24 घंटों में यह और संगठित होकर मज़बूत रूप लेगा। इसके प्रभाव से 12 सितम्बर को आंध्र प्रदेश तट के पास मध्य-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव क्षेत्र बनने की संभावना है। यह सिस्टम आगे बढ़ते हुए देश के पूर्वी, मध्य, दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों में मानसूनी बारिश को सक्रिय करेगा।
11 सितम्बर से पूर्वी व मध्य भारत में असर
शुरुआत में यह परिसंचरण ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और विदर्भ में बिखरी हुई मध्यम बारिश कराएगा। अगले दो दिनों में जब यह लो प्रेशर क्षेत्र अंदरूनी हिस्सों की ओर बढ़ेगा, तो कर्नाटक, विदर्भ, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और दक्षिण मध्य प्रदेश (महाराष्ट्र से सटे इलाके) में व्यापक रूप से मध्यम से भारी बारिश होगी।
मुंबई-पुणे समेत कोंकण-गोवा में भारी बारिश
इसके बाद भारी बारिश का दायरा कोंकण और गोवा तक पहुँचेगा, जिसमें मुंबई और पुणे जैसे इलाके शामिल रहेंगे। मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र में भी तेज बारिश की संभावना रहेगी।
उत्तर भारत तक पहुँचेगा असर
यह लो प्रेशर क्षेत्र महाराष्ट्र के मध्य हिस्सों और आसपास मंडराता रहेगा और पश्चिमी तट से दूरी बनाए रखेगा। बाद में जब यह पश्चिमी विक्षोभ से टकराएगा, तो 16 से 20 सितम्बर के बीच गुजरात, राजस्थान और उत्तरी मैदानी राज्यों तक बारिश का दायरा फैल जाएगा। चूँकि 4-5 दिनों से आगे का पूर्वानुमान कम सटीक होता है, इसलिए इस सिस्टम के अंदरूनी इलाकों में पहुँचने के बाद स्थिति का दोबारा आंकलन किया जाएगा।
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