

29 जून 2025 को दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने पूरे देश को कवर कर लिया, जो सामान्य तिथि 8 जुलाई से लगभग 9 दिन पहले है। अंतिम चरण में मानसून पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के बचे हुए हिस्सों में पहुँचने से पहले 5-6 दिन तक रुका रहा था। केवल गंगीय पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून सामान्य तिथि से पहले पहुंचा। इस बार मानसून का आगमन केरल और पूर्वोत्तर भारत में 24 मई को ही हो गया था, जो सामान्य से एक सप्ताह पहले था।
मानसून ने घटा दी जून की बारिश की कमी
देश में जून के शुरुआती दिनो में मौसमी वर्षा में लगभग 30% की कमी थी। लेकिन एक के बाद एक कम दबाव वाले क्षेत्रों और चक्रवातीय परिसंचरणों के कारण मानसून की गति और ताकत दोनों बढ़ी, जिससे बारिश की यह कमी न केवल पूरी हुई, बल्कि जून के अंत तक वर्षा सामान्य से अधिक हो गई। इसके चलते खरीफ फसलों की बुवाई ने रफ्तार पकड़ी और पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है। साथ ही, देश के पूर्वी, मध्य और पश्चिमी हिस्सों में जलाशयों का जलस्तर भी काफी बढ़ा है। जुलाई माह सबसे अधिक बारिश वाला और कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है, क्योंकि किसान इस दौरान अधिकतम क्षेत्र में बुवाई करते हैं ताकि रबी फसलों के लिए समय पर खेत खाली हो सकें।
बीते वर्षों में जून में मानसून कवरेज के आंकड़े
पिछले 25 वर्षों (2001 से अब तक) में केवल 6 बार ऐसा हुआ है जब मॉनसून ने जून में ही पूरे देश को कवर कर लिया हो। सबसे जल्दी ऐसा 2013 में हुआ था, जब 16 जून को मॉनसून ने उत्तर प्रदेश से लेकर राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और उत्तर भारत के पर्वतीय क्षेत्रों तक का इलाका एक साथ ढक लिया था। उस वर्ष और 2020 में वर्षा सामान्य से अधिक रही थी, जबकि 2018 में यह सामान्य से नीचे (91% LPA) थी और 2015 में सूखे जैसे हालात रहे थे (86% LPA)। इससे यह स्पष्ट होता है कि मॉनसून का जल्दी आना पूरे सीजन के प्रदर्शन का संकेत नहीं होता। फिर भी, जल्दी मॉनसून का फैलाव किसानों और सप्लाई चेन से जुड़े क्षेत्रों का मनोबल जरूर बढ़ाता है।
अगले 10 दिन: कहां होगी अच्छी बारिश, कहां रहेगी कमी
आगामी 10 दिनों में मानसून के सक्रिय और कुछ क्षेत्रों में तीव्र रहने की संभावना है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान इस अवधि में सबसे अधिक लाभ पाने वाले राज्य होंगे। वहीं, दक्षिण भारत के राज्यों जैसे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में बारिश की कमी बनी रह सकती है, जिससे इन इलाकों में मौसमी वर्षा में घाटा और बढ़ सकता है। महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे आंतरिक क्षेत्रों में भी अच्छी वर्षा की संभावना कम है, जबकि देश के पूर्वी, मध्य, पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों में मानसून अच्छा प्रदर्शन करता रहेगा।