

दक्षिण-पश्चिम मानसून की विदाई की प्रक्रिया 14 सितंबर से शुरू हो गई है। विदाई रेखा श्रीगंगानगर, नागौर, जोधपुर और बाड़मेर से होकर गुजर रही है। आने वाले दिनों में इसका असर कच्छ (गुजरात), राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी राज्यों तक बढ़ने की संभावना है। इस बार विदाई सामान्य से पहले शुरू हुई है और अगले एक हफ्ते में उत्तरी भारत के अधिकांश हिस्सों से मानसून विदा हो सकता है।
विदाई की तिथियों में बदलाव
2019 तक पश्चिमी राजस्थान से मानसून विदाई की सामान्य तिथि 1 सितंबर मानी जाती थी। यह आधार 1901 से 1940 तक के 40 साल के आँकड़ों पर आधारित था। वर्ष 2020 में मानसून की शुरुआत और विदाई की तिथियाँ संशोधित की गईं। संशोधित डेटा सेट में मानसून आगमन की गणना 1961 से 2019 और विदाई की गणना 1971 से 2019 के आँकड़ों के आधार पर की गई। इसके अनुसार पश्चिमी राजस्थान से विदाई की तिथि 17 सितंबर कर दी गई। चंडीगढ़ और दिल्ली के लिए भी तिथियों को 2 से 4 दिन आगे बढ़ा दिया गया। दिल्ली के लिए संशोधित तिथि 25 सितंबर तय की गई, जो पहले 21 सितंबर थी।
विदाई के रिकॉर्ड और बदलाव
संशोधन से पहले मानसून की सबसे जल्दी विदाई 4 सितंबर 2015 को हुई थी। संशोधन के बाद, सामान्यतः मानसून सितंबर के अंतिम दिनों में विदा होता है। 2022 में इसकी सबसे जल्दी विदाई 20 सितंबर को हुई और दिल्ली से 29 सितंबर को मानसून विदा हुआ। वहीं, संशोधित तिथियों के बाद सबसे देर से विदाई 2021 में हुई थी, जब 6 अक्टूबर तक मानसून सक्रिय रहा।
मुंबई और कोलकाता की विदाई तिथियों में बदलाव
संशोधित कार्यक्रम के अनुसार मुंबई से मानसून विदाई की तिथि 29 सितंबर से बढ़ाकर 8 अक्टूबर कर दी गई। वहीं, कोलकाता की विदाई तिथि एक सप्ताह आगे बढ़ाकर 14 अक्टूबर कर दी गई। हालांकि, पूरे देश से मानसून की विदाई की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर ही बरकरार रखी गई है।