

देश के मुख्य भूमि (mainland) पर मानसून की सामान्य शुरुआत 1 जून को केरल से होती है। यह मानसूनी धारा आमतौर पर 8 जुलाई तक राजस्थान के अंतिम छोर तक पहुंच जाती है, यानी मानसून पूरे देश को कवर करने में करीब 38 दिन लेता है। हालांकि, मानसून की यात्रा हमेशा एक सी नहीं रहती। कई बार तेजी से आगे बढ़ता है, तो कभी बीच में रुकावट और धीमापन आ जाता है। 26 मई से 15 जून 2025 तक लगभग 20 दिनों का ब्रेक होने के बावजूद, मानसून इस बार समयसीमा के भीतर ही पूरे देश को कवर कर लेगा। खास बात यह है कि पूरा देश जून महीने में ही मानसून की चपेट में आ जाएगा।
ऐसे मौके जब आधे समय में पूरे देश में फैला मानसून
38 दिनों की सामान्य अवधि के मुकाबले, कुछ वर्षों में मानसून ने बहुत ही तेजी से देश को कवर किया है। उदाहरण के लिए 2013 में 1 जून को केरल से शुरुआत हुई और केवल 15 दिनों में 16 जून तक पूरे देश में फैल गया, जो कि अब तक की सबसे तेज कवरेज थी। हालांकि, इसी दिन उत्तराखंड में भीषण आपदा घटी थी। इसी तरह, 1941 में मानसून की शुरुआत 23 मई को हुई और 11 जून तक पूरा देश कवर हो गया, सिर्फ 19 दिन में। 1961 में 21 मई से 21 जून तक पूरा चक्र 30 दिनों में पूरा हुआ था।
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दिल्ली रही सबसे पीछे, अंतिम चरण में थी सबसे ज्यादा अनिश्चितता
इस साल मानसून के अंतिम चरण में सबसे ज्यादा अस्थिरता रही। दिल्ली, हरियाणा का छोटा भाग, पश्चिम उत्तर प्रदेश और राजस्थान की एक पतली पट्टी ये क्षेत्र अभी तक यानी मानसून की आखिरी चरण में भी अछुते रहे हैं। दिल्ली में मानसून के आगमन की तारीख बार-बार बदलती रही, पहले समय से पहले आने की उम्मीद थी, लेकिन अब अनुमानित तिथि 29 जून मानी जा रही है। हालांकि, यह भी बहुत जोरदार शुरुआत नहीं होगी, बल्कि दिल्ली में मानसून धीमी और हल्की फुहारों के साथ दस्तक देगा।
कई मौसमी सिस्टम मिलकर करेंगे मानसून कवरेज पूरा
देश के शेष हिस्सों को कवर करने के लिए मौसम पूरी तरह अनुकूल होता जा रहा है। अब कई कारक मिलकर एक साथ काम करेंगे। जैसे पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) उत्तर भारत में सक्रिय है, राजस्थान के ऊपर चक्रवातीय परिसंचरण बन गया है और पूर्व-पश्चिम ट्रफ की उत्तर की ओर खिसकती स्थिति ये सभी मिलकर मानसून को एक साथ पूरे देश में फैला देंगे। सबसे अहम बात यह है कि मानसून इस बार पूरे देश में जून के अंत तक पहुंच जाएगा, जो कि एक दुर्लभ और उल्लेखनीय घटना है।