
पुराना लो प्रेशर एरिया अब मराठवाड़ा के ऊपर मध्यम वायुमंडलीय स्तर पर एक कमजोर परिसंचरण (Circulation) के रूप में सक्रिय है। इसके प्रभाव से अगले 2-3 दिनों तक विदर्भ, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और तेलंगाना में बिखरी हुई बारिश और गरज-चमक के साथ बौछारें देखने को मिलेंगी। इसी बीच बंगाल की खाड़ी (BoB) में एक और मौसम प्रणाली बनने की संभावना है। इसके चलते देश के पूर्वी और मध्य हिस्सों में मानसून गतिविधियाँ जारी रहेंगी।
लगातार सक्रिय रहेंगे मानसूनी सिस्टम
मौसम मॉडलों के अनुसार, सितंबर के बचे हुए दिनों में एक के बाद एक कई सिस्टम बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करेंगे। यह सिलसिला पूर्वी, मध्य और पश्चिमी भारत में मानसून को सक्रिय बनाए रखेगा। इन सिस्टम्स की लंबी मौजूदगी से केंद्रीय हिस्सों में मानसून तय समय से आगे खिंच सकता है। यहां तक कि जहां से मानसून पहले ही विदा हो चुका है, जैसे राजस्थान और उत्तरी मैदानी हिस्से वहां भी बारिश लौट सकती है।
म्यांमार तट पर बना चक्रवाती परिसंचरण
म्यांमार के अराकान तट (Gulf of Martaban के दक्षिण) पर एक सशक्त चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। यह अगले दिन लो प्रेशर एरिया का रूप ले सकता है और 20 सितंबर को पूर्वोत्तर बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करेगा। 21 सितंबर को यह उत्तर खाड़ी में शिफ्ट हो जाएगा। 22 से 24 सितंबर के बीच यह सिस्टम समुद्र के ऊपर ही घूमता रहेगा। इसी दौरान एक और परिसंचरण इसी रास्ते से खाड़ी में प्रवेश कर सकता है और दोनों मिलकर उत्तर बंगाल की खाड़ी पर एक मज़बूत सिस्टम बन सकते हैं।
आगे का अनुमान और संभावित असर
4-5 दिन से ज़्यादा आगे का पूर्वानुमान पूरी तरह सटीक नहीं होता, लेकिन इस सिस्टम पर नजर रखना जरूरी है। जब यह लो प्रेशर एरिया बंगाल की खाड़ी में बनेगा, तभी स्थिति साफ होगी। शुरुआती आंकलन के अनुसार यह सिस्टम सितंबर के अंतिम दिनों में मध्य और पश्चिम भारत के भीतर तक जा सकता है। पश्चिमी विक्षोभ (Westerly system) से टकराव की स्थिति बनी, तो मानसून पहले से विदा हो चुके हिस्सों में भी फिर से बारिश करवा सकता है। इससे देश के कोर मानसून जोन से दक्षिण-पश्चिम मानसून की विदाई तय तारीखों से आगे बढ़ सकती है।