सितंबर में बंगाल की खाड़ी शांत, लगातार 4 साल से नहीं बना कोई चक्रवात, जानें क्यो?
Sep 25, 2025, 4:00 PM | Skymet Weather Team
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सितंबर में 4 साल नहीं बना कोई तूफान, प्रतीकात्मक इमेज

जैसे ही दक्षिण-पश्चिम मानसून के वापसी होने की प्रक्रिया शुरू होती है, वैसे ही हवा का पैटर्न और एयरमास में बदलाव होने लगते हैं। यह दोनों कारण ही भारतीय समुद्रों में चक्रवात बनने की संभावना बढ़ा देते हैं। गौरतलब है, मानसूनी धारा एक स्थिर एयरमास(airmass) होती है, इसलिए जुलाई और अगस्त के महीने में भारतीय समुद्रों में उष्णकटिबंधीय तूफान (tropical storm) नहीं बनते हैं। बता दें, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी की तुलना में सितंबर में तूफान बनने की संभावना बंगाल की खाड़ी में अधिक होती है। वहीं, अरब सागर में बनने वाले तूफान आमतौर पर भारतीय तट से दूर चले जाते हैं और ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते।

एयरमास क्या होता है: एयरमास एक बड़ी मात्रा में हवा का क्षेत्र होता है, जिसमें तापमान, आर्द्रता (humidity) और अन्य मौसम की विशेषताएँ लगभग एक समान होती हैं। यह हजारों किलोमीटर तक फैल सकता है और जब यह किसी क्षेत्र में प्रवेश करता है, तो वहां का मौसम बदल सकता है।

मानसून की विदाई प्रक्रिया

मानसून की विदाई धीरे-धीरे और लंबी प्रक्रिया होती है। पश्चिम राजस्थान से मानसून वापसी की सामान्य तिथि 17 सितंबर मानी जाती है, लेकिन कई बार विदाई प्रक्रिया देर से शुरू होती है। जैसे साल 2007, 2017, 2019, 2020, 2021 में मानसून सितंबर के अंत या अक्टूबर में ही पीछे हटना शुरू हुआ। ऐसे वर्षों में सितंबर में तूफान बनने की संभावना कम हो जाती है।

हाल के वर्षों का आंकड़ा

पिछले तीन वर्षों में बंगाल की खाड़ी में सितंबर महीने में कोई चक्रवात नहीं बना। आखिरी चक्रवात ‘गुलाब’ 24-28 सितंबर 2021 को आया था। यह आंध्र प्रदेश के कालींगपट्टनम तट से गुजरा और दक्षिण भारत पार कर अरब सागर में ‘शाहीं’ नामक गंभीर चक्रवात बन गया। शाहीं पश्चिम की ओर बढ़ा और ओमान में टकराया। इतिहास से पता चलता है कि 1950-70 के दशक में सितंबर में तूफान अधिक बनते थे। उदाहरण के लिए 1955 और 1968 में बंगाल की खाड़ी में सितंबर में दो-दो चक्रवात बने थे। 1990 के बाद सितंबर में तूफान कम बनने लगे। केवल 1997, 2005, 2018 और 2021 में एक-एक तूफान आया था।

अक्टूबर के पहले सप्ताह में संभावित तूफान

दक्षिण-पश्चिम मानसून 2025 ने 14 सितंबर से उत्तर भारत से पीछे हटना शुरू किया। बंगाल की खाड़ी इस समय सक्रिय बनी हुई है। इस हफ्ते पहले ही एक निम्न दबाव क्षेत्र बना था और अगले कुछ दिनों में मध्य और उत्तरी बंगाल की खाड़ी में नया निम्न दबाव बन सकता है। इस प्रणाली के डिप्रेशन में बदलकर 27 सितंबर को ओडिशा तट पार करने की संभावना है। इस महीने के अंत तक यह प्रणाली उत्तर कोंकण और दक्षिण गुजरात तक पहुँच सकती है। साथ ही, 29/30 सितंबर को म्यांमार क्षेत्र से बंगाल की खाड़ी में एक और बची हुई परिसंचरण प्रणाली(circulatory system) प्रवेश कर सकती है। ये दोनों सिस्टम अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत होने की संभावना रखते हैं। हालांकि, मॉडल की सटीकता 5 दिन से आगे कम हो जाती है, इसलिए अक्टूबर के पहले सप्ताह तक के मौसम की भविष्यवाणी अभी पूरी तरह नहीं की जा सकती।

इसके बावजूद, भारतीय समुद्रों में तटों के दोनों ओर अक्टूबर के पहले सप्ताह में बड़ी मौसम प्रणालियों, उष्णकटिबंधीय तूफानों और डिप्रेशन बनने की संभावना बनी हुई है। इस दौरान सतर्क रहना जरूरी है।