
सामान्य तौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून का वापसी क्रम पश्चिमी राजस्थान से सितंबर के मध्य में शुरू होता है। गुजरात से इसकी वापसी 25 सितंबर तक शुरू हो जाती है और महीने के अंत तक यह गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों से पूरी तरह समाप्त हो जाता है। मानसून के लौटने के बाद हवा के रुख में बदलाव आता है। बादलों की अनुपस्थिति और तेज धूप के कारण दिन के तापमान में अस्थायी बढ़ोतरी होती है, जिसे “सेकंड समर” यानी दूसरी गर्मी कहा जाता है। यह गर्मी आमतौर पर कर्क रेखा (23.5° उत्तर अक्षांश) के आस-पास वाले क्षेत्रों में ज्यादा महसूस होती है, खासकर देश के पश्चिमी हिस्सों में।
कर्क रेखा के आस-पास तापमान में उछाल
कर्क रेखा गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मिजोरम से होकर गुजरती है। हर साल 5 से 15 अक्टूबर के बीच इन राज्यों में तापमान में वृद्धि देखने को मिलती है। पश्चिमी हिस्सों में दक्षिण राजस्थान, कच्छ और मध्य गुजरात में कई बार पारा 40°C तक पहुंच जाता है। नलिया, भुज, सुरेंद्रनगर, राजकोट, अहमदाबाद और बड़ौदा जैसे शहर दिन के समय बेहद गर्म हो जाते हैं। वहीं, पूर्वी हिस्सों में कोलकाता, मिदनापुर, खड़गपुर, कालाइकुंडा और पानागढ़ में भी तापमान 40°C के करीब पहुंचता है। लेकिन इस साल यह मौसमी विशेषता देखने को नहीं मिली।
इस बार ‘सेकंड समर’ का क्यों नहीं दिखा असर
इस बार यह ‘सेकंड समर’ फीचर गायब रहा, जिसका मुख्य कारण मॉनसून की वापसी के बाद उत्तर और पश्चिम भारत में हुई बे-मौसम बारिश रही। बंगाल की खाड़ी से उठे कई मौसम प्रणालियों ने गुजरात तक यात्रा की और उन इलाकों में भी भारी बारिश कराई, जहां से मॉनसून समय पर विदा हो चुका था। साथ ही, उत्तर भारत के मध्यम और ऊँचे पर्वतीय इलाकों में जल्दी बर्फबारी शुरू हो गई। इन दोनों कारणों से अक्टूबर की सामान्य गर्मी दब गई और मौसम अपेक्षाकृत ठंडा बना रहा।
गुजरात-राजस्थान में अब तक नहीं बढ़ा तापमान
इस साल अक्टूबर में नलिया, भुज, अहमदाबाद और गांधीनगर जैसे शहरों में तापमान अब तक 35°C तक भी नहीं पहुंचा है। हालांकि, गुजरात के डीसा में 36.2°C और राजस्थान के बाड़मेर में 37.3°C तापमान पहली बार कल दर्ज किया गया। वहीं, अहमदाबाद और गाँधीनगर में न्यूनतम तापमान लगभग 20°C दर्ज हुआ, जो आज सुबह दिल्ली के 19°C के तापमान के बराबर रहा। पिछले 24 घंटों में जैसलमेर, डीसा और राजकोट में भी यही रुझान देखा गया। ऐसे में संभावना है कि इन इलाकों में इस साल सर्दी की दस्तक सामान्य से पहले पड़ सकती है।
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