मलक्का जलडमरूमध्य (स्ट्रेट ऑफ मलक्का) और दक्षिण अंडमान सागर के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है, जो मध्य क्षोभमंडल स्तर तक फैला हुआ है। जिसे चक्रवाती परिसंचरण (साइक्लोनिक सर्कुलेशन) कहते हैं। यह धीरे-धीरे पश्चिम की तरफ बढ़ रहा है। इसके चलते अगले 24 घंटों में दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी(BOB) और अंडमान सागर में लो-प्रेशर बन सकता है। यह सिस्टम काफी मजबूत दिख रहा है और अगले हफ्ते की शुरुआत तक चक्रवात भी बन सकता है। आमतौर पर इस समय समुद्र में बनने वाले ऐसे सिस्टम तेज़ और गंभीर तूफान में बदल जाते हैं।

बंगाल की खाड़ी में तूफान बनने के आसार
नवंबर में बनने वाले तूफानों का सामान्य क्षेत्र और ट्रैक
नवंबर में बंगाल की खाड़ी में बनने वाले ज्यादातर तूफान 8°N से 13°N अक्षांश के बीच बनते हैं। जो तूफान पश्चिम–उत्तर-पश्चिम दिशा में बढ़ते हैं, वे उत्तर तमिलनाडु और दक्षिण आंध्र के तटीय हिस्सों पर टकराते हैं और फिर अरब सागर में दाखिल होकर दोबारा तेज हो जाते हैं। पिछले साल नवंबर में चक्रवात फेंगल (Fengal) ने यही मार्ग अपनाया था और कराईकल के पास तट से टकराया था। जो तूफान ज्यादा उत्तरी हिस्सों में बनते हैं, वे उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़कर बाद में उत्तर-पूर्व की तरफ मुड़ जाते हैं। चक्रवात मिधिली (Midhili) ने भी नवंबर 2023 में ऐसा ही रास्ता अपनाया और बांग्लादेश के मध्य भाग से टकराया था।
बन रहा सिस्टम धीरे-धीरे उत्तर की ओर चढ़ेगा
जो संभावित लो-प्रेशर एरिया बन रहा है, वह दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी के निचले हिस्सों में विकसित होगा, लेकिन धीरे-धीरे अक्षांश बढ़ाते हुए 25 नवंबर तक साउथ-सेंट्रल बंगाल की खाड़ी तक पहुंचने का अनुमान है। इसके बाद ऐसे चक्रवातों का ट्रैक अनिश्चित हो जाता है, यह पूर्वी तट से टकरा भी सकता है, या फिर तट के पास-पास होकर पश्चिम बंगाल/बांग्लादेश की ओर मुड़ सकता है। यह सब निर्भर करता है 25,000 फीट ऊंचाई पर मौजूद हवाओं (steering current) और सब-ट्रॉपिकल रिज की स्थिति पर, जो तूफान की दिशा, समय और बाईं/दाईं ओर मुड़ने को तय करती है।अधिक स्पष्टता तब मिलती है जब सिस्टम कम से कम डिप्रेशन बन जाए, जो कि 24 नवंबर के आसपास होने की संभावना है।
पूरे पूर्वी तट पर बढ़ा खतरा, कड़ी तैयारी जरूरी
बंगाल की खाड़ी में इस सीजन के दूसरे संभावित चक्रवात की आशंका को देखते हुए, तमिलनाडु से लेकर पश्चिम बंगाल तक पूरा पूर्वी तट सतर्कता के दायरे में है। क्योंकि यह सिस्टम लंबी समुद्री यात्रा करेगा और समुद्र व वातावरण की स्थितियां भी इसके अनुकूल हैं, इसलिए इसके गंभीर चक्रवात में बदलने की संभावना ज्यादा है। ऐसी स्थिति में पूरे तटीय क्षेत्र को अधिकतम तैयारी और सतर्क रहना होगा, जिससे किसी भी समय तुरंत कार्रवाई की जा सके।
यह भी पढ़ें: बंगाल की खाड़ी में बन रहा शक्तिशाली सिस्टम, तमिलनाडु-आंध्र-ओडिशा पर चक्रवाती तूफान का खतरा
यह भी पढ़ें: दिल्ली में शुष्क मौसम जारी, तापमान में बड़ी गिरावट के आसार नहीं, जानें पूरा मौसम पूर्वानुमान







