
जैसा कि पहले बताया गया था दक्षिण-पूर्व अरब सागर में कल तक एक निम्न दबाव क्षेत्र (Low Pressure Area) बनने की संभावना है। यह सिस्टम अगले दिन तक अधिक स्पष्ट (Well Marked) हो जाएगा और 20 अक्टूबर 2025 तक इसके डिप्रेशन (Depression) में बदलने की संभावना है। डिप्रेशन या डीप डिप्रेशन के रूप में यह सिस्टम दक्षिण-मध्य अरब सागर के ऊपर स्थित होगा और आगे पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में बढ़ेगा। फिलहाल मौसम मॉडलों की सीमाओं के कारण इसके ट्रैक और तीव्रता पर टिप्पणी करना जल्दबाज़ी होगी। हालांकि, अनुकूल परिस्थितियों में यह सिस्टम पश्चिम-मध्य अरब सागर में एक ट्रॉपिकल स्टॉर्म (उष्णकटिबंधीय तूफान) में बदल सकता है।

समुद्री परिस्थितियाँ दे रही हैं तूफान को मज़बूती का मौका
वर्तमान में अरब सागर के इस हिस्से में पर्यावरणीय परिस्थितियाँ इस सिस्टम के गहराने के अनुकूल हैं। जैसे-जैसे यह सिस्टम पश्चिम की ओर बढ़ेगा, सोमालिया-यमन तट के पास समुद्र का सतही तापमान घटने लगता है। इतिहास गवाह है कि इस इलाके में कई सिस्टम भू-भाग पर पहुँचने से पहले कमजोर पड़ जाते हैं, खासकर ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ (Horn of Africa) क्षेत्र के पास। मौजूदा संकेतों के अनुसार यह डिप्रेशन लगभग 22 अक्टूबर 2025 के आसपास तूफान (Storm) का रूप ले सकता है। यदि ऐसा होता है, तो इसका नाम ‘मोंथा (Montha)’ रखा जाएगा, जिसका उच्चारण ‘मॉन-था (Mon-Tha)’ होगा।
‘मोंथा’ का रास्ता 2023 के ‘तेज’ चक्रवात जैसा हो सकता है
इस चक्रवात का संभावित ट्रैक अक्टूबर 2023 में बने ‘तेज’ चक्रवात से मिलता-जुलता हो सकता है। पिछले वर्ष (2024) में अरब सागर में पोस्ट-मानसून सीज़न के दौरान कोई तूफान नहीं बना था। चक्रवात तेज (Cyclone Tej) ने 20 से 21 अक्टूबर 2023 के बीच तेजी से कैटेगरी-3 यानी एक्स्ट्रीमली सीवियर साइक्लोनिक स्टॉर्म (Extremely Severe Cyclonic Storm) का रूप ले लिया था। यह तूफान सोमालिया-यमन तट की ओर बढ़ा, लेकिन भूमि से टकराने से पहले कमजोर पड़ गया और 23-24 अक्टूबर 2023 के बीच यमन के अल-महराह प्रांत (Al Mahrah Governorate) में लैंडफॉल किया।
भारत के तट से रहेगा सुरक्षित, लेकिन दक्षिण भारत में होगी बारिश
जब यह सिस्टम दक्षिण-मध्य अरब सागर में डिप्रेशन के रूप में उभरेगा, तब इसके ट्रैक, तीव्रता और समय-सीमा पर और स्पष्टता मिलेगी। फिलहाल यह चक्रवात भारतीय तट से पर्याप्त दूरी पर रहेगा, इसलिए भारत के पश्चिमी तट को कोई सीधा खतरा नहीं होगा। हालांकि, सिस्टम की उपस्थिति से केरल, तटीय कर्नाटक और कोकण-गोवा में 17 से 22 अक्टूबर 2025 के बीच छिटपुट बारिश और गरज-चमक के साथ बौछारें देखने को मिल सकती हैं।
बंगाल की खाड़ी में भी सक्रिय होगा एक और सिस्टम
इस बीच, 22 अक्टूबर के आसपास बंगाल की खाड़ी में एक और सिस्टम बनने की संभावना है। यदि वह सिस्टम विकसित होता है, तो दक्षिणी प्रायद्वीप भारत के अधिकांश हिस्सों में बारिश का दौर जारी रहेगा, और यह गतिविधि आने वाले दिनों में और भी मजबूत रूप ले सकती है। अरब सागर में बन रहा यह सिस्टम धीरे-धीरे चक्रवात ‘मोंथा’ का रूप ले सकता है। हालांकि, इसका भारतीय तट पर कोई सीधा प्रभाव नहीं होगा, लेकिन दक्षिण भारत में बारिश और गरज-चमक का सिलसिला जारी रहेगा। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अगले कुछ दिनों में इस चक्रवात के ट्रैक और तीव्रता पर और स्पष्टता मिलेगी।
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