
उत्तर-पूर्व मानसून (Northeast Monsoon) आधिकारिक रूप से कल यानी 16 अक्टूबर को दक्षिण भारत में दस्तक दे चुका है। यह लगभग पिछले साल जैसी ही स्थिति रही, जब मानसून 15 अक्टूबर 2024 को आया था। इस बार भी दक्षिण-पश्चिम मानसून की विदाई और उत्तर-पूर्व मानसून की शुरुआत एक साथ हुई, जैसा कि 2019 में भी हुआ था, जब दोनों प्रक्रियाएँ 16 अक्टूबर को ही दर्ज की गई थीं। मानसून के आगमन से पहले ही पिछले कुछ दिनों से दक्षिणी प्रायद्वीप के हिस्सों में मध्यम बारिश हो रही थी, जो अब पूरे सप्ताह जारी रहने की संभावना है।
मानसून का आगमन समय और सामान्य तारीखें
उत्तर-पूर्व मानसून का आगमन हर साल 11 अक्टूबर से 27 अक्टूबर के बीच किसी भी समय हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि पूर्वी हवाएँ (Easterly Winds) बंगाल की खाड़ी और दक्षिणी तटों तक कब पहुँचती हैं। आमतौर पर दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीप में पूर्वी हवाओं की स्थापना की सामान्य तिथि 14 अक्टूबर मानी जाती है, जबकि तमिलनाडु और तटीय आंध्र प्रदेश में उत्तर-पूर्व मानसून के आने की औसत तारीख 20 अक्टूबर होती है।
शुरुआती तारीख का बारिश की मात्रा से नहीं होता संबंध
उत्तर-पूर्व मानसून के आगमन की तारीख का मौसमी बारिश की मात्रा (seasonal rainfall) से कोई खास संबंध नहीं होता। उदाहरण के तौर पर 2012 और 2021 में मानसून 25 अक्टूबर को आया था। इसके बावजूद, उन वर्षों में बारिश क्रमशः -7% और +15% LPA (Long Period Average) रही थी। उत्तर-पूर्व मानसून तमिलनाडु के लिए मुख्य वर्षा ऋतु है। राज्य को सालाना बारिश लगभग 35% यानी करीब 317 मिमी इसी दौरान मिलती है। 1971 से 2020 तक के आंकड़ों के अनुसार, दक्षिणी प्रायद्वीप में इस मौसम की औसत बारिश 334.13 मिमी होती है। अगर बारिश LPA से ±12% के अंदर रहती है, तो उसे सामान्य वर्षा माना जाता है।
वैश्विक मौसमी कारक करेंगे असर
उत्तर-पूर्व मानसून का प्रदर्शन वैश्विक जलवायु कारकों से काफी प्रभावित होता है, जिनमें प्रमुख हैं-ENSO (एल नीनो-दक्षिणी दोलन), IOD (इंडियन ओशन डिपोल) और MJO (मैडेन जूलियन ऑस्सिलेशन)। इस वर्ष, ENSO नवंबर की शुरुआत से ला नीना (La Niña) अवस्था में रहेगा, जबकि IOD नकारात्मक (Negative) बना रहेगा। ये दोनों ही स्थितियाँ मानसून के लिए अनुकूल नहीं मानी जातीं और इनके साथ कमज़ोर मौसमी प्रदर्शन का रुझान जुड़ा रहता है। वहीं, MJO एक गतिशील लहर है जो पूरी दुनिया में घूमती रहती है और इसके कारण मौसमी गतिविधियों में उतार-चढ़ाव (intra-seasonal variability) देखने को मिलता है।
दक्षिण भारत में उत्तर-पूर्व मानसून की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है। आने वाले हफ्तों में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पुदुच्चेरी और दक्षिणी कर्नाटक में अच्छी बारिश देखने को मिल सकती है। हालांकि, ला नीना और नकारात्मक IOD जैसे कारक मानसून के प्रदर्शन पर असर डाल सकते हैं।
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