
दक्षिण-पश्चिम मानसून अब देश के ज़्यादातर हिस्सों से विदा हो चुका है इसमें पूर्वोत्तर भारत भी शामिल है। केवल इसका अंतिम सिरा उत्तरी आंतरिक कर्नाटक, दक्षिणी तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के कुछ हिस्सों में सक्रिय है। इन इलाकों में जो हल्की बारिश देखी जा रही है, जो दक्षिण-पश्चिम मानसून की नहीं बल्कि उत्तर-पूर्व मानसून (Northeast Monsoon) की शुरुआत की झलक है। पूरा दक्षिण-पश्चिम मानसून 16 अक्टूबर 2025 तक देश से पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
उत्तर-पूर्व मानसून के आने की तैयारी पूरी
उत्तर-पूर्व मानसून के आने के लिए जरूरी लगभग सभी परिस्थितियाँ अब अनुकूल होती जा रही हैं। पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी हवाएँ अब बंगाल की खाड़ी के मध्य और दक्षिणी हिस्सों में सक्रिय हैं। इन हवाओं ने आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों तक पहुंचकर मध्यम दर्जे की बारिश कराई है। जल्द ही कोमोरिन (Comorin) और लक्षद्वीप क्षेत्र के ऊपर एक निम्न दबाव क्षेत्र (Low Pressure Area) बनने की संभावना है। दक्षिणपूर्व प्रायद्वीप में लगातार जारी बारिश इस बात का संकेत है कि अब उत्तर-पूर्व मानसून के औपचारिक आगमन की घोषणा कभी भी हो सकती है।
उत्तर-पूर्व मानसून के आने की शर्तें लगभग पूरी
उत्तर-पूर्व मानसून की आधिकारिक घोषणा के लिए कुछ मौसम संबंधी पूर्व-शर्तें होती हैं —
1. दक्षिण-पश्चिम मानसून का पूरी तरह समाप्त होना।
2. पूर्वी हवाओं (Easterly winds) का 5,000 फीट ऊँचाई तक तमिलनाडु, दक्षिणी आंध्र प्रदेश और मध्य व दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर प्रवाहित होना।
3. तटीय तमिलनाडु, दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक बारिश होना।
फिलहाल, ये सभी स्थितियाँ लगभग पूरी हो चुकी हैं और अगले 24 से 36 घंटों में उत्तर-पूर्व मानसून के आगमन की औपचारिक घोषणा संभव है।
एक साथ दो घटनाएँ- मानसून विदाई और आगमन
दक्षिण-पश्चिम मानसून के पूर्ण रूप से समाप्त होने और शीतकालीन मानसून (Northeast Monsoon) के शुरू होने की संभावना एक साथ बन रही है। यह स्थिति 2019 की तरह हो सकती है, जब 16 अक्टूबर 2019 को दक्षिण-पश्चिम मानसून की विदाई और उत्तर-पूर्व मानसून का आगमन एक ही दिन हुआ था। ऐसा ही दोहराव इस बार भी देखने को मिल सकता है-यानी 16 अक्टूबर 2025 को दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरी तरह लौट जाएगा और उत्तर-पूर्व मानसून दस्तक देगा।
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