अरब सागर पर डिप्रेशन, फिलहाल तूफान का खतरा नहीं – तटीय राज्यों को सतर्क रहने की सलाह
Oct 24, 2025, 2:15 PM | Skymet Weather Team
WhatsApp icon
thumbnail image

अरब सागर पर दबाव, फोटो: CIMSS

अरब सागर में बना अच्छी तरह से बना लो प्रेशर एरिया अब गहराकर डिप्रेशन (Depression) में बदल गया है। पिछले 12 घंटों के दौरान यह सिस्टम उत्तर-उत्तरपूर्व (North-Northeast) दिशा में आगे बढ़ा है। वर्तमान में यह 13.5° उत्तर अक्षांश और 71° पूर्व देशांतर के पास स्थित है यानी मेंगलुरु से लगभग 450 किमी पश्चिम में पूर्व-मध्य और उससे सटे दक्षिण-पूर्व अरब सागर पर केंद्रित है। मौसमी प्रणाली के अभी इसी दिशा में बढ़ते हुए भारतीय तट के नजदीक पहुंचने की संभावना है। हालांकि, अगले 48 घंटों तक इस डिप्रेशन के चक्रवाती तूफान में बदलने की संभावना बहुत कम है। फिर भी, मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी दिशा और ताकत पर लगातार नजर रखना जरूरी है।

ASTTS.PNG

मौसमीय परिस्थितियाँ चक्रवात बनने के लिए अनुकूल नहीं

पर्यावरणीय विश्लेषण (Environmental Analysis) से पता चलता है कि अगले कुछ दिनों में यह सिस्टम किसी प्रमुख चक्रवाती तूफान (Significant Cyclone) में विकसित होने के लिए अनुकूल स्थिति में नहीं है। फिलहाल अरब सागर में मध्यम से ऊँचे स्तर का वर्टिकल विंड शियर (Vertical Wind Shear) मौजूद है-यानी ऊपरी और निचली हवाओं की दिशा और गति में अंतर ज़्यादा है, जिससे किसी सिस्टम को ताकत पकड़ने में दिक्कत होती है। हालांकि ऊपरी स्तर पर कुछ डिफ्लुएंट आउटफ्लो (Diffluent Outflow) यानी हवा का अच्छा निकास है, लेकिन समुद्र सतह का तापमान 27°C से 28°C के बीच ही है, जो सीमांत (Borderline) स्थिति मानी जाती है। जहां कुछ जगहों पर सतह का तापमान ऊँचा है, वहीं गहरे समुद्र में ठंडा पानी मौजूद है, इसलिए सिस्टम को ज्यादा ऊर्जा नहीं मिल पा रही है। इसी कारण से अगले 48 घंटों में इस डिप्रेशन के चक्रवात में बदलने की संभावना बहुत कम है।

ASTTC.PNG

पश्चिमी तट के नजदीक पहुंचेंगे बादल-बढ़ेगी बारिश की संभावना

जैसे-जैसे यह सिस्टम उत्तर-पूर्व दिशा की ओर आगे बढ़ेगा,इसके बाहरी हिस्से (Peripherals) यानी बादलों की पट्टियाँ कोंकण और गोवा, दक्षिण गुजरात और सौराष्ट्र के तटीय इलाकों तक पहुंचेंगी। यह क्लाउड बैंड्स (Cloud Bands) धीरे-धीरे तटीय कर्नाटक और केरल तक भी फैल सकते हैं। इस वजह से अगले 4 से 5 दिनों तक (कम से कम 28 अक्टूबर तक) कोंकण, गोवा और गुजरात में बिखरी हुई भारी बारिश (Scattered Heavy Rainfall) होने की संभावना है।

मुंबई, गोवा और दक्षिण गुजरात में बेमौसम बारिश

इस सिस्टम के चलते कई इलाकों में बेमौसम बारिश (Unseasonal Rains) देखने को मिल सकती है। बेमौसम बारिश से प्रभावित क्षेत्रों में मुंबई और उसके उपनगरों के साथ सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, अलीबाग, दहानू और गोवा शामिल हैं। वहीं, दक्षिण गुजरात और सौराष्ट्र के शहर सूरत, वापी, वलसाड, नवसारी, भरूच, भावनगर, महुआ, जफराबाद, सोमनाथ और वेरावल में भी बारिश संभावना है।

अरब सागर में उथल-पुथल—मछुआरों को न जाने की सलाह

अरब सागर के अधिकांश हिस्सों में समुद्र बहुत अशांत (Very Rough Sea) रहेगा, विशेष रूप से पश्चिमी घाट के तटीय हिस्सों से लेकर गहरे समुद्री इलाकों तक। इसीलिए तेज हवाएं, ऊँची लहरें और खतरनाक समुद्री हालात बन सकते हैं। जिस कारण अगले कुछ दिनों तक मछुआरें इस समुद्री क्षेत्र में नावों या मछली पकड़ने के लिए न जाएं।

सिस्टम पर लगातार नजर-सतर्कता बेहद जरूरी

मौसम वैज्ञानिक इस सिस्टम की ट्रैक और तीव्रता (Track & Intensity) पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। समुद्री परिस्थितियाँ तेजी से बदल सकती हैं और अरब सागर के इस समय में (अक्टूबर के उत्तरार्ध में) ऐसे सिस्टम का चक्रवाती तूफान में बदल जाना जलवायु की दृष्टि से सामान्य (Climatologically Favoured) माना जाता है। ऐसे कई उदाहरण हैं जब कमज़ोर डिप्रेशन अचानक ताकतवर होकर गुजरात तट की ओर मुड़ गया है। इसलिए विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जब तक ‘ऑल क्लियर’ घोषित न किया जाए, तब तक पूरी सतर्कता बरतना बेहद ज़रूरी है।

तटीय इलाकों में बरतें सावधानी

अरब सागर में सक्रिय यह डिप्रेशन भले ही अभी चक्रवात न बना हो, लेकिन इसका प्रभाव भारत के पश्चिमी तटीय राज्यों कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात पर बारिश और समुद्री उथल-पुथल के रूप में जरूर दिखेगा। अगले कुछ दिनों तक तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश, तेज हवाएं और खतरनाक समुद्री हालात बने रह सकते हैं। इसलिए, मछुआरे समुद्र में न जाएं, तटीय इलाकों के निवासी सतर्क रहें, साथ मौसम से जुड़े अपडेट्स पर लगातार ध्यान बनाए रखें।